श्रीरघुबीर हरषि उर लाये ॥११॥ रघुपति कीह्नी बहुत बड़ाई ।
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
कृष्ण और शिकारी, संत की कथा - प्रभु भक्त अधीन
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥ जो यह पाठ करे मन लाई ।
कोई पीवे संत सुझान,नाम रस मीठा रे ॥राजवंश की रानी पी गयी, एक बूँद इस रस का।आधी रात महल तज चलदी, aigiri nandini lyrics रहू न मनवा बस का।गिरिधर
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
मैना मातु की हवे दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
hanuman ji ki aarti: बजरंगबली को प्रसन्न करने के लिए पढ़ें श्री हनुमान जी की आरती
कानन कुण्डल कुञ्चित केसा ॥४॥ हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै ।
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥